देश में महिला जज और वकील भी हो रही है, भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार
सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाली एक महिला वकील ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के कुछ पुरुष अधिवक्ताओं द्वारा लगातार उत्पीड़न, भेदभाव का आरोप लगाया है। पीड़ित महिला वकील सिमरन (काल्पनिक नाम) ने अपनी दुख भरी दास्तां सोशल मीडिया एक ग्रुप में शेयर कर आम जन से मदद की गुहार लगाई है।
पीड़ित ने बताया कि वह पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती है, जहां पर उसको पुरुष अधिवक्ताओं से भेदभाव, उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, ये सदस्य पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के उपाध्यक्ष और सदस्य होने के नाते सत्ता में हैं।
उन्होंने मुझ पर शारीरिक हमला किया, मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, लेकिन पुलिस यह कहते हुए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है कि हम अधिवक्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते।
मेरा जीवन खतरे में है क्योंकि मैं इन अधिवक्ताओं की अवैध निगरानी में हूं। 13.12.2023 को मेरे साथ मारपीट की गई, पुलिस ने डीडीआर दर्ज कर ली, लेकिन अभी तक किसी भी अपराधी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि दोषियों ने उनका चंडीगढ़ से सुप्रीम कोर्ट दिल्ली तक रास्ते में भी पीछा किया। 15.12.2023 को मेरा फोन छीन लिया गया लेकिन अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
भेदभाव और ब्लैकमेलिंग की पराकाष्ठा यह है कि मुझे कोर्ट में भी एक जस्टिस द्वारा ब्लैकमेल किया गया। और कहा कि पहले आप प्रतिवादियों के खिलाफ दुर्व्यवहार, कदाचार, बलात्कार के आरोप वापस लें तभी मैं आपकी याचिका पर विचार करूंगा। जोकि मीडिया में भी प्रकाशित किया। फिर भी सरकार गहरी नींद में सोई रही। उन्होंने बताया कि इस उत्पीड़न के पीछे का कारण गुरुग्राम का एक सहायक जिला अटॉर्नी द्वारा शोषण, छेड़छाड़, हत्या की धमकी, सामूहिक बलात्कार की शिकायत वापस लेने का दबाव है। जिसके खिलाफ मेने गुरुग्राम में मामला दर्ज कराया हुआं है।
वहीं मेरी मदद करने के लिए अधिवक्ताओं ने होटल में आने जैसी शर्तें रखीं, फिर हम आपकी मदद करेंगे। मेरे पास मदद के लिए ऐसी शर्तें रखने वाले कुछ अधिवक्ताओं की रिकॉर्डिंग भी है।
सत्ता में बैठे लोगों ने मुझे शारीरिक और मानसिक शोषण के जरिए परेशान करना शुरू कर दिया, बार काउंसिल और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मेरे प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया ताकि मैं घुटनों के बल झुक जाऊं और उनकी कल्पनाओं के प्रति समर्पित हो जाऊं। जबकि सहायक जिला अटॉर्नी बिना जमानत के अपने रसूख के चलते अपने पद पर बना हुआ है।
बता दे की जहां हरियाणा की खट्टर सरकार और केंद्र की मोदी सरकार महिला की सुरक्षा को लेकर तरह तरह के दावे करती नहीं थक रही है, वहीं आए दिन महिला उत्पीड़न के मामले दिनों दिन सुर्खियों में आ रहे हैं। यहां तक की आम लोगों को न्याय देने वाले महिला जज और वकील भी पुरुषों के उत्पीड़न का शिकार हो रही है। जिसके मामले आए दिन किसी न किसी राज्य से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच रहे हैं। फिर भी पीड़ित महिला जज, वकील, डाक्टर दर-दर की ठोकरे खा रही है। मगर न्याय नहीं मिल रहा है।
गौरतलब है कि अभी पिछले दिनों ही जहां उत्तर प्रदेश की एक महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इच्छा मृत्यु के लिए पत्र भेजा था। वही राजस्थान की नागौर की एक महिला जज ने पुरुष वकीलों द्वारा परेशान उत्पीड़न के चक्कर में नौकरी से निकाला गया था।
जिसमें एक सीनियर अधिवक्ता और जज ने अपनी छुट्टी बीच में ही कैंसिल कर महिला जज को नौकरी से निकलने के लिए एक दिन के लिए छुट्टी कैंसिल करके सीट पर बैठकर महिला को डिस्मिस किया था। वही हरियाणा का भी है चर्चित मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।